Rethink Aadhaar

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Of 42 hunger deaths in 2017, 2018, 25 deaths related to Aadhaar issues: RTF

Hunger Deaths in 2015-18

News reports of “starvation deaths” have been coming in a steady trickle over the past few years. One particularly tragic episode was that of eleven-year old Santoshi Kumari in Jharkhand. She died one year ago, on 28 September, begging her mother for rice as she slipped into unconsciousness. It was later learnt that her family had lost their ration card because it had not been linked with Aadhaar (in mid-2017, the Jharkhand government mass-cancelled Aadhaar-less rations cards).

On the occasion of Santoshi’s death anniversary, we compiled the attached list of reported hunger deaths from 2015 onwards. By hunger death we mean that the victim died after prolonged hunger because there was no food or money in the house, and that, quite likely, he or she would have survived otherwise. This is a partial list, based on Google searches in the English and Hindi media.[1]

As many as 56 hunger deaths (at least) were reported in the last four years, of which 42 happened in 2017 and 2018. This is a telling reminder of the precarious living conditions of the Indian poor. Many of them depend critically on social security pensions and the public distribution system (PDS) for their survival. Denial of PDS rations or pensions accounts for most of the hunger deaths. Most of the victims are from disadvantaged groups, e.g. Dalits, Adivasis and Muslims.

Out of 42 hunger deaths in 2017 and 2018, a large majority (25) were related to Aadhaar. At least 18 of these deaths were directly due to Aadhaar (see the rows in yellow highlight and bold). Common reasons include losing one’s ration card or pension for lack of Aadhaar linking, and failure of Aadhaar-based biometric authentication (ABBA), which is compulsory – for practical purposes – in several states. Another 7 deaths were possibly related to Aadhaar (rows with only a yellow highlight). These are mainly cases where a person was denied PDS rations or a ration card for unspecified reasons, which are likely to be related to Aadhaar in some cases at least.

Reports of hunger deaths are particularly frequent in two states: Jharkhand and Uttar Pradesh (16 cases each). In Jharkhand, ABBA is effectively compulsory in most ration shops. Uttar Pradesh has implemented the National Food Security Act in a belated and haphazard manner.

In a healthy democracy, hunger deaths would make headlines and become a matter of debate and action. Some of the cases reported here did receive some attention, but even those did not lead to the sort of sustained pressure that would force the government to do what it takes to prevent hunger deaths. Most of them barely made it to the “news ticker” of fast-paced breaking news. And despite growing evidence of the counter-productive role of ABBA in the PDS, the central government persists in its determination to make it compulsory across the country.

 [1] For Jharkhand, detailed reports based on independent investigation are available (see last column of detailed table). The circumstances of starvation deaths, and the role played by Aadhaar, are reasonably clear from these reports. 

2015-18 में भूख से मौतें

पिछले कुछ वर्षों में भूख से मौतों की खबरें लगातार आती रही हैं. इनमें से झारखंड की 11-वर्षीय संतोषी कुमारी की मृत्यु खास कर के दुखद थी. संतोषी 28 सितम्बर 2017 को अपनी माँ को भात-भात कहते-कहते चल बसी. बाद में पता चला कि आधार से लिंक न होने के कारण उसके परिवार का राशन कार्ड रद्द कर दिया गया था (मई-जुलाई 2017 में झारखंड सरकार ने व्यापक पैमाने पर बिना आधार से जुड़े राशन कार्डों को रद्द किया था).

संतोषी की पुण्यतिथि पर हम लोगों ने 2015 से लेकर अभी तक भूख से हुई मौतों (जिनकी जानकारी उपलब्ध है) की सूचि समेकित की है. हमारे हिसाब से अगर कोई व्यक्ति, घर में खाना या पैसा न होने के कारण, लम्बे समय से भूखा रहता है एवं उसकी मृत्यु होती है और उसे अगर समय से खाना या पैसा मिलता, तो शायद उसकी मृत्यु नहीं होती, तो उसे भूख से मौत मान सकते है. अंग्रेजी व हिंदी खबरों के गूगल सर्च पर आधारित यह एक आंशिक सूचि है.[1]

पिछले चार वर्षों में कम-से-कम 56 भुखमरी से मौतें हुई हैं. इनमें से 42 मौतें 2017 व 2018 में हुई हैं. यह भारत के गरीबों के जीवन में अनिश्चितता की स्थिति को दर्शाता है. अनेक गरीबों के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन और जन वितरण प्रणाली जीवन रेखा समान है. अधिकांश मौतें पेंशन या जन वितरण प्रणाली से राशन न मिलने के कारण हुई हैं. भुखमरी के शिकार हुए अधिकांश व्यक्ति वंचित समुदायों – आदिवासी, दलित व मुसलमान – के हैं.

2017 और 2018 में जो 42 मौतें हुई, उनमें से 25 आधार सम्बंधित समस्याओं के कारण हुई थी. इनमें से कम-से-कम 18 मौतों के लिए सीधे तौर पर आधार ज़िम्मेदार था (सूचि में पीले व बोल्ड हाइलाइट्स देखें). मुख्य कारण हैं – आधार से न जुड़े होने के कारण राशन कार्ड रद्द हो जाना या पेंशन सूचि से नाम कट जाना व आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था की विफलता. अनेक राज्यों में जन वितरण प्रणाली में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था अनिवार्य समान है. इनके अलावा 7 मौतें संभवतः आधार के कारण ही हुई हैं (सूचि में केवल पीले हाइलाइट्स को देखें).  इनमें से अधिकांश व्यक्ति अपने राशन या राशन कार्ड से वंचित थे, जिसके लिए आधार ज़िम्मेवार हो सकता है.

भूख से मौतों की सूचनाएं झारखंड और उत्तर प्रदेश से लगातार आती रही हैं. अभी तक इन दोनों राज्यों से 16-16 व्यक्तियों की मृत्यु की सूचनाएं मिली हैं. झारखंड में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था लगभग हर राशन दुकान में अनिवार्य है. उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून को देर से व अव्यवस्थित तरीके से लागू किया है.

एक स्वस्थ और जीवंत लोकतंत्र में भूख से मौतें बड़ी खबर होनी चाहिए व इस पर गंभीर चर्चा और सक्रीय प्रतिक्रिया होना चाहिए. चंद मौतें कुछ हद तक चर्चित तो हुई हैं. लेकिन उस चर्चा से ऐसा निरंतर दबाव नहीं बन सका जिससे भूख से मौतों को रोकने के लिए सरकार को कार्यवाई करने के लिए विवश किया जा सके. इनमें से अधीकंश मामलें ‘ब्रेकिंग न्यूज़’ के दौर में मुख्य समाचार का हिस्सा भी नहीं बन पाई. जन वितरण प्रणाली में आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन व्यवस्था से व्यापक पैमाने पर हो रही समस्याओं के बावज़ूद केंद्र सरकार इसे पूरे देश में अनिवार्य करने पर लगी हुई है

[1] झारखंड में हुई मौतों पर स्वतन्त्र तथ्यान्वेषण पर आधारित रिपोर्ट्स उपलब्ध हैं (संलग्न सूचि का आखरी कॉलम देखें). भुखमरी से हुई मौतों के कारण व आधार की भूमिका इन रिपोर्ट्स से स्पष्ट पता चलते हैं.

Resources

https://drive.google.com/file/d/0B0A8K4XEQ4YBR2JFeG5mTTVlaU8xVmNYLWh0bWREVHFvcnNz/view

https://drive.google.com/file/d/0B0A8K4XEQ4YBVGU4cDdianBHbXNWTU5NTWo5UjVnTERYa2RR/view

https://drive.google.com/file/d/0B0A8K4XEQ4YBRDU3Z1R1dW5tWS1FMkFqTkpyMEt2Q01wbl9F/view

Press coverage

https://www.deccanherald.com/national/least-56-died-due-hunger-2015-693791.html

https://thewire.in/rights/of-42-hunger-related-deaths-since-2017-25-linked-to-aadhaar-issues