Hundreds of Adivasi farmers protest denial of foodgrain by use of Aadhaar in Public Distribution System
Hundreds of Adivasis of several villages of Jharkhand’s Khuntpani block (West Singhbhum district) protested at the block administration’s office on February 28 against the denial of ration, use of Aadhaar and other irregularities in the Public Distribution System.
Ration has not been distributed in some villages since several months. Cardholders of Ulirajabasa did not get ration in September-December 2018 and February 2019, one month in 2017 and three months in 2016. People of Ankolkuti have not received their grain entitlements for August-September and November-December 2018.
Cardholders have to face hassles (often leading to denial of ration) due to mandatory use of Aadhaar and Aadhaar-based biometric authentication in the PDS. Even though the ration shop is in their village, cardholders of Ulirajahasa village have to travel 3 kms away to another village just for Aadhaar-based biometric authentication required for getting their grain entitlement. Their village does not have adequate internet connectivity. Meena Bodra said that not only do the people have to spend money for the travel, they also have to lose their daily wages; sometimes for 2-3 days. And after all this hassle, biometric failure continues to deny cardholders of their grain entitlements. Kande Purty of this village was denied his ration for the month of January 2019 as his fingerprints did not work in the PoS machine. People unequivocally said that the earlier system of ration distribution (through registers) was better than the current biometric based system.
While some vulnerable families are yet to get ration cards, ration cards of many marginalised families have been cancelled recently. Asai Bodra of Paseya village, who is physically disabled, said that she could not collect her ration for the month of February 2018 as her ration card was cancelled without even informing her. Banubinj’s Naguri Hembram said that she and some other families stopped getting ration since July 2017 as their ration cards were cancelled.
People had complained to the block administration several times but the issues remain unresolved. The people submitted the attached memorandum addressed to the Chief Minister with the following demands to the Block Development Officer. She gave verbal assurance that action would be taken after inquiring into the issues.
Grain entitlements pending for earlier months be immediately given to the cardholders and the government should ensure timely delivery of ration every month.
Aadhaar-based biometric authentication system (PoS machine) be removed from the Public Distribution System and Aadhaar be made non-mandatory. Earlier system of ration distribution (through registers) be implemented.
License of all concerned ration dealers be cancelled and women self-help groups be given responsibility for distribution.
Families whose ration cards have been cancelled should be immediately re-enrolled in the Public Distribution System.
Administrative action be taken on all officials responsible for the above mentioned issues.
For further details, please contact Amar Purty( (8340151835), Mekyu Banra (6200675632), Jai Singh (8201410143) or Siraj (9939819763).
28 फ़रवरी 2019
राशन न मिलने एवं जन वितरण प्रणाली में आधार की अनिवार्यता के विरुद्ध
झारखंड के आदिवासियों का विरोध
झारखंड के खुंटपानी प्रखंड (पश्चिमी सिंहभूम ज़िला) के कई गावों के सैंकड़ों आदिवासियों ने जन वितरण प्रणाली में आधार के इस्तेमाल, कई महीनों तक राशन न मिलने व अन्य अनियमितताओं के विरुद्ध प्रखंड कार्यालय में धरना-प्रदर्शन किया.
अनेक गावों में कई महीनों से राशन का वितरण नहीं किया गया है. उलिराजाबासा गाँव में सितम्बर - दिसम्बर 2018 एवं फरवरी 2019 में राशन वितरण नहीं किया गया है. 2017 में भी एक महीने और 2016 में तीन महीनों का राशन नहीं दिया गया था. अंकोलकुटी गाँव में अगस्त-सितम्बर व नवम्बर-दिसम्बर 2018 का राशन वितरण नहीं किया गया है.
जन वितरण प्रणाली में आधार की अनिवार्यता एवं आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण व्यवस्था के कारण कार्डधारियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. हालाँकि राशन दूकान गाँव में हैं, लेकिन गाँव में नेटवर्क न होने के कारण उलिराजाबासा के लोगों को बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के लिए 3 किमी दूर पन्द्रसाली जाना पड़ता है. मीना बोदरा बोली कि इससे न केवल आने-जाने का भाड़ा खर्च होता है बल्कि दिन-भर का समय भी बर्बाद होता है. कभी-कभी तो 2-3 दिन भी जाना पड़ता है. एवं, कई लोग पॉस मशीन में उँगलियों के निशान काम नहीं करने के कारण अपने राशन से वंचित हो जाते हैं. इसी कारण से इस गाँव के कांदे पूर्ती को जनवरी 2019 में राशन नहीं मिला था. सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि राशन वितरण की पुरानी व्यवस्था (रजिस्टर के माध्यम से) बेहतर थी.
एक तरफ अभी भी कई ज़रूरतमंद परिवारों को राशन कार्ड नहीं मिला है, और दूसरी ओर अनेक परिवारों का कार्ड रद्द कर दिया गया है. पासेया गाँव की असाई बोदरा, जो शारीरिक रूप से विकलांग हैं, बोली कि उन्हें फरवरी में राशन नहीं मिला क्योंकि उनकी जानकारी के बिना उनका कार्ड रद्द कर दिया गया है. बनाबिंज के नागुरी हेम्ब्रोम ने कहा कि उनको एवं अन्य कई परिवारों को जुलाई 2017 से राशन नहीं मिल रहा है क्योंकि कार्ड रद्द कर दिया गया है.
इस विषय में कई बार शिकायतों के बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है. सभी ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री के नाम से संलग्न मांग पत्र निम्न मांगों के साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी को दिया. उन्होंने जांच के बाद कार्यवाई करने का मौखिक आश्वासन दिया.
अभी तक का बकाया राशन तुरंत वितरण किया जाए एवं आगे से प्रत्येक महीने ससमय राशन वितरण सुनिश्चित किया जाए.
जन वितरण प्रणाली से आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण व्यवस्था (पॉस मशीन) हटाया जाए एवं आधार की अनिवार्यता समाप्त की जाए. राशन वितरण की पुरानी व्यवस्था (रजिस्टर के माध्यम से) बेहतर थी एवं उसे पुनः लागू किया जाए.
गाँव के राशन डीलर का लाइसेंस रद्द किया जाए और सक्षम महिला समिति को राशन वितरण की ज़िम्मेवारी दी जाए.
जिन परिवारों का राशनकार्ड रद्द किया गया है, उन्हें तुरंत जन वितरण प्रणाली में वापिस जोड़ा जाए.
उपरोक्त समस्याओं के लिए ज़िम्मेवार पदाधिकारियों पर उचित कार्यवाई की जाए.
अधिक जानकारी के लिए अमर पूर्ती (8340151835), मेक्यु बनरा (6200675632), जय सिंह (8201410143) अथवा सिराज (9939819763) से संपर्क करें.