From the Trenches of Aadhaar Distress | कैसे आधार ने भारत को आँसुओं, कतारों और Kagaz में डुबो दिया
For this report, journalist Aparna Kalra interviewed Delhi residents who have had to make multiple rounds of Aadhaar correction centers to be able to access basic services such as school admission for their children
इसी तपती दोपहर में बाहर निकलती हैं गुड्डी कुमारी। ग़ुस्से में कांपती हैं, फिर जैसे ग़ुस्से का भार आँसू बनकर बह निकलता है। उनकी बच्ची रजनंदिनी कुमारी का आधार रद्द कर दिया गया है—एक ऐसी सज़ा, जिसका कोई अपराध नहीं। उनके हाथ में कुछ कागज़ हैं—सादे से, पर शायद ज़िंदगी के सबसे भारी कागज़। एक कर्मचारी ने काले अक्षरों में लिख दिया है: “Aadhar Cancelled” और नीचे लिखा है – “Supreme Court Metro Station, Gate No. 2, Aadhar Seva Kendra.” Aadhaar एक पहचान बना, लेकिन जो इस देश के सबसे हाशिये पर हैं, उनके लिए यह पहचान अब गुमनामी बनती जा रही है। ये पहचान अब शिक्षा छीन रही है, राशन छीन रही है, और साथ ही साथ वह आत्मसम्मान भी, जो हर नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है। देखिए ये वीडियो और जानिए गुड्डी जैसी शबनम की कहानी जो रहती हैं दिल्ली की कुसुमपुर पहाड़ी में, उनका कहना है कि पाँच साल से उनका आधार कार्ड अमान्य हैं। देखिए वीडियो।